
Dashrath Manjhi Mountain man story in Hindi (दशरथ मांझी माउंटेन मैन स्टोरी इन हिंदी)
Dashrath Manjhi Mountain man के नाम से जाने जाते हैं। आइए पढ़ते हैं उनके जीवन की अविश्वसनीय कहानी। दशरथ मांझी का जन्म बिहार में गया के करीब गहलौर गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। वे दलित जाति के थे। उनका गांव बेहद ही पिछले इलाको में आता था।
वे जिस गांव में रहते थे, वहां से पास के कस्बे जाने के लिए एक पूरा पहाड़ (गहलोर पर्वत) पार करना पड़ता था। उस टाइम उनके गांव में ना तो बिजली थी ना ही पानी था। ऐसे में छोटी-छोटी चीजों के लिए पर्वत को पार करना काफी मुश्किल था।
शुरुवाती दिनों में वो धनबाद की कोयले की खानों में काम किया।अपने गांव आने के बाद उन्होंने फाल्गुनी देवी से शादी कर ली। और उनका जीवन और लोगो की तरह ही गुजर रहा था।
Dashrath Manjhi गांव में ही पहाड़ो पर काम करते। तभी अचानक उनकी जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ, जो उनके जीवन को बदल दिया। एक रोज उनकी पत्नी उनको पहाड़ की दूसरी तरफ खाना देने जा रही थी।अचानक वो पहाड़ से फिसल के गिर गई।हॉस्पिटल पास न होने के कारण,हॉस्पिटल पहुंचने में लेट हो गई,जिसकी वजह से उनकी पत्नी कि मौत हो गई।
इस घटना ने उनको इतना झकझोर के रख़ दिया । उन्होंने संकल्प किया कि जिस पहाड़ की वजह से उनकी पत्नी की मौत हुई है उसको तोड़ के ही दम लूंगा।यहीं से जन्म हुआ, Dashrath Manjhi THe Mountain man।
वो अपने अकेले के दम पर, एक हथौडा और छेनि से पहाड़ को तोड़ने निकल पडे। रास्ता इतना आसान नहीं था।शुरुवात में बहुत सारी कठीनाइया आई। बहुत सारे लोगो ने उन्हें पागल समझा, लेकिन धीरे-धीरे उनके मेहनत को देख कर बदलने लगे। लेकिन बाद में लोगों ने, उनको खाना और औजार खरीदने के रूप में मदद करने लगे।
यह विश्वास करना मुस्किल है ,कि वो 22 सालो तक पहाड तोड़ते रहे। जो कि 360 फुट लम्बा 25-फुट-गहरा 30-फुट-चौड़ा था। उन्होंने इस काम को 22 वर्षों में पूरा किया। इस काम को पूरा होने से 55 किलोमीटर का सफ़र, अब 15 किलोमीटर में तब्दील हो गया।
मांझी का कहना था कि मै अपने बुलंद हौसले और मुझे जो भी आता था, उस के दम पर मैं मेहनत करता रहा । मेरा एक ही मंत्र है अपनी धुन में लगे रहो। अपने काम को करते रहो, चीजे मिले ना मिले इसकी परवाह मत करो, क्योकि हर रात के बाद दिन तो आता ही है।
मांझी का निधन 17 अगस्त 2007 को 73 साल की उम्र में, नई दिल्ली के (एम्स) में हुआ । दशरथ मांझी के ऊपर एक मूवीज भी बनी है जरुर आप उस मूवीज को देखे।
“जब भी आपके जीवन में लगे कि यह काम मुशिकल है तों एक सवाल अपने आप से पूछना कि 360 फुट लम्बा 25-फुट और 30-फुट-पहाड़ तोंडने से भी ज्यादा मुशिकल काम है क्या?
“उनके मूवी का एक डायलोग है, भगवान के भरोसे मत बैठीए, हो सकता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो”
मै यह आशा करता हु कि Dashrath Manjhi Mountain man story in Hindi कि ये कहानी आपको जीवन में आगे बढ़ने कि प्रेरणा देगी।
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