
आज मै ऐसे प्रधानमंत्री की बात कर रहा हूँ। जिन्हे भारत का सबसे युवा (40 वर्ष की आयु में) प्रधानमंत्री के रूप में काम करने का गौरव प्राप्त है। वे देश के सबसे चर्चित एव विवादित रहने वाले प्रधानमंत्री में से एक है। उन्होंने भारत को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए अथक प्रयास किये। उनके प्रयासों से देश आज भी लाभान्वित हो रहा है। इस कारण इन्हें ‘आधुनिक भारत का शिल्पकार’ की उपाधि भी प्राप्त है। मै बात कर रहा हु भारत की सबसे शक्तिशाली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के पुत्र एव देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी के बारे में। आइये पढ़ते Rajiv Gandhi Biography in Hindi.
राजीव गाँधी का जीवन परिचय Rajiv Gandhi Biography in Hindi
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राजीव गाँधी का जन्म एव परिवार (His Childhood and Family)
भारत रत्न से सम्मानित श्री राजीव गाँधी का जन्म, 20 अगस्त 1944 को बोम्बे में, माता इंदिरा गाँधी और पिता फिरोज गाँधी के यहा हुआ था। उनका पूरा नाम राजीव रत्न गाँधी था।
इनके छोटे भाई का नाम संजय गाँधी था। भारत की आजादी के समय उनकी आयु 3 वर्ष थी। तब उनके नाना यानी पंडित जवाहरलाल नेहरु आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (first male prime minister) बने थे।
राजीव गाँधी के पिता फिरोज गाँधी भी पार्लियामेंट में कोंग्रेस पार्टी के सांसद थे। आपसी मनमुटाव हो जाने से इंदिरा गाँधी, अपने पति से अलग नई दिल्ली आ गई।
शिक्षा (Early Education)
राजीव गाँधी और उसके छोटे भाई की शुरुआती शिक्षा शिव शांति निकेतन स्कूल से हुई। बचपन में वे थोड़े शर्मीले और कम बोलने वाले छात्रो में से थे। उन्हें पेंटिंग और ड्राइंग करना पसंद था।
बाद में (1954 में) दोनों भाइयो ने देहरादून के ‘वेल्हम बोयेस स्कूल’ में प्रवेश लिया। जो एक आवासीय स्कूल था। स्कूलिंग के दिनों वे एक औसत स्टूडेंट ही थे।
उन्होंने पढाई को ज्यादा गंभीरता से नही लिया। कुछ सालो बाद 1961 में राजीव गाँधी पढने के लिए इंगलैंड चले गए। उन्होंने इंजीनियरिंग कोर्स के लिए ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में दाखिला लिया।
लेकिन डिग्री हासिल नही की। उसके बाद 1965 में उन्होंने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई शुरू की। लेकिन उसे भी पूरा नही किया।
सन 1966 में राजीव गाँधी इंग्लैंड से भारत लौटे। तब इंदिरा गाँधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री (first female prime minister) हो चुकी थी। इन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढाई के दौरान एड्विग एंटोनिया मैनो से प्यार हो गया था। जो उनकी भावी पत्नी हुई।
जिसके साथ राजीव गाँधी ने 1968 में भारत में शादी की। शादी के बाद एंटोनिया मैनो भारत में ही रहने लगी और उन्हें अब सोनिया गाँधी के नाम से जाना जाता है।
राजीव गाँधी और सोनिया गाँधी के दो बच्चे हुए। 1970 में राहुल गाँधी का और 1972 में प्रियंका गाँधी का जन्म हुआ। वर्तमान में दोनों ही कोंग्रेस पार्टी के सक्रीय नेता है।
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राजनैतिक करियर (Political career)
सन 1966 में जब राजीव गाँधी भारत लौटे तब, उन्होंने छोटे भाई संजय की तरह राजनीति में जाने का नही सोचा। बल्कि उनका सपना एक पाइलट बनने का था।
इसके लिए उन्होंने दिल्ली स्थित एक फ्लाइंग क्लब को जॉइन किया था। और कुछ सालो के लिए एयर इंडिया में एज ए पाइलट की नौकरी किया। इससे ये तो साफ जाहिर होता है कि उन्हें राजनीति में आने की कोई दिलचस्पी नही थी।
लेकिन बाद में कुछ ऐसी परिस्थतिया बन गई थी कि, उन्हें राजनीति में प्रवेश करना ही पड़ा। हुआ यह था कि, सन 1980 में उनके छोटे भाई की विमान क्रेश हो जाने से मृत्यु हो गई थी।
उस समय संजय गाँधी, पीएम इंदिरा गाँधी के प्रमुख सलाहकार थे। इस कारण कई बड़े मंत्रियों ने राजीव गाँधी को राजनीति में आने और अपनी माँ की मदद करने की सलाह दी।
यही नही बद्रीनाथ के प्रमुख संत स्वामी स्वरूपानंद ने राजीव गाँधी से कहा था, वे हवाई जहाज उड़ना छोड़, स्वयं को देश की सेवा के लिए समर्पित करे।
जब उनसे पूछा गया कि, क्या आप राजनीति में आना चाहते है? तब राजीव गाँधी ने जवाब में कहा, ‘यदि इससे मेरी माँ को मदद होती है, तो मै राजनीति में जरुर कदम रखूँगा।
16 फरवरी 1981 में उन्होंने पहली बार एक रैली में भाषण दिया। 4 मई 1981 को इंदिरा गाँधी ने राजीव गाँधी को अमेठी से उम्मीदवार के तौर पर खड़ा किया।
उनके जीवन का टर्निंग पोइंट तब आया जब उन्होंने अमेठी से चुनाव लड़ा और जीते भी। सांसद बनने के बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान राजनीति में लगाया।
31 अक्टूबर 1984 का दिन, उस दिन इंदिरा गाँधी की हत्या उनके ही बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बेयंत सिंह द्वारा कर दी गई। उनकी हत्या अमृतसर में किए ‘ओप्रेसन ब्लू स्टार’ के बदले में की गई थी।
इस हत्या के बाद देश में सिखों के खिलाफ दंगे भडकना शुरू हो गए। अब भारत की राजनैतिक व्यवस्था को संभालने के लिए राजीव गाँधी को अगला पीएम चुना गया।
हत्या के उसी दिन उन्हें पीएम की शपथ दिलाई गई। इंदिरा गाँधी की निर्मम हत्या के बाद, देश के लोगो ने उनके लिए सहानुभूति दिखाई, जिसका परिणाम था कि, 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में कोंग्रेस रिकॉड तोड़ वोटो से जीती।
उस समय 541 सीटो में से 404 सीटे कोंग्रेस ने जीती थी। यह कोंग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी जीत थी।
राजीव गाँधी का प्रधानमंत्री के रूप में योगदान (as a prime minister) (1984-1989)
1984 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद श्री राजीव गाँधी भारत के सातवें प्रधानमंत्री चुने गए। उस समय उनकी आयु 40 वर्ष थी। इसलिए इन्हें सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर भी जाना जाता है।
इनके प्रधानमंत्री बनने के बाद कई लोगो ने इन्हें ‘राजनीति में नौसिखिया’ कहा था। लेकिन बाद उनके कार्यो से सभी अचंभित हो गए थे। बतौर प्रधानमंत्री इनका कार्यालय 1984 से लेकर 1989 तक रहा।
प्रधानमंत्री पद के अलावा, उन्होंने ऐसे मंत्रालयों के अध्यक्ष भी थे। जिन्हें किसी मंत्री को नही सौपा गया था। उनकी विदेश निति काफी चर्चित रही थी।
इन्होने सन 1985 में सबसे पहले एंटी डिफेक्सन एक्ट को पारित किया था। जिसके तहत किसी भी सांसद या विधायक को दल बदल करने पर रोक लगा दी गई।
उन्होंने मतदान के लिए आयु को 21 वर्ष से घटकर 18 वर्ष की। आज भारत टेक्नोलॉजी के फील्ड में आगे बढ़ रहा है। यह राजीव गाँधी की ही देन है।
सर्वप्रथम इन्होने ही भारत में IT (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी) लाया था। जिसके तहत टेलिकॉम, मोबाइल, कम्पूटर जैसी सेवाए आम जनता तक भी पहुंची।
इस कारण इन्हें भारत में संचार प्रोद्योगिकी का जनक माना जाता है। लाइसेंस राज को खत्म किया। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को कम करना था।
लाइसेंस राज में किसी भी तरह का बिजनस खोलने के लिए कई तरह के लाइसेंस बनाने पड़ते थे। उनको कम करने का प्रयास किया। प्राइवेट इन्वेस्टमेंट करना शुरू किया।
जिसमे उद्योगों और बिजनस को बढ़ावा दिया। नई शिक्षा निति के तहत जवाहर नवोदय विद्यालय शुरू किये गए। उन्होंने क्षेत्रीय मामलो जैसे कश्मीर, पंजाब और श्री लंका के साथ शांति समझोते किए।
लेकिन ये सभी इनपर ही भरी पड़े। श्री लंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल इलम (LTTE) से गृह युद्ध शुरू हो गया था। जिसमे भारत ने हस्तक्षेप किया था। बाद में जिसका खामियाजा था राजीव गाँधी की हत्या।
राजीव गाँधी की मृत्यु (Rajiv Gandhi Death)
21 मई 1991 में जब राजीव गाँधी Tamilnadu के श्रीपेरम्बुदुर गाँव (वर्तमान चेनई में) चुनाव प्रचार के लिए गए थे। तब एक महिला उनसे मिलने स्टेज पर आई।
जो RDX बेल्ट छुपाए पहनी थी। जैसे ही वह महिला उनको प्रणाम करने लगी। वह RDX फट गया। बहुत जोरदार धमाका हुआ।
जिसमे राजीव गाँधी समेत 25 अन्य लोगो की जान चली गई। इस हत्या के पीछे LTTE का हाथ था। वह महिला (थेरोमोंज़ी राजारामन) मानव बम LTTE द्वारा भेजा गया था।
विवाद और आलोचनाएं (Controversy)
सन 1986 में शाह बानो केस के चलते राजीव गाँधी की सरकार काफी विवादों में घिरी थी। इन्दोर की एक 62 वर्षीय मुस्लिम महिला शाह बानो ने, कोर्ट में याचिका दायर की कि, उसके पति ने उससे तलाक ले लिया है।
तो उसे और उसके 5 बच्चों के लिए जुर्मना भरे। बाद में कोर्ट ने महिला के पक्ष में निर्णय लिया। कोर्ट के उस निर्णय के विरुद्ध राजीव गाँधी ने संसद में कानून पारित कर दिया।
‘प्रोटेक्शन ऑफ़ राईट ओन डाइवोर्स एक्ट 1986’ इस एक्ट के तहत, तलाक के 90 दिनों बाद ही पति द्वारा खर्चा दिया जाएगा। जिसे ‘इद्दत का समय’ कहा जाता है।
यह कोर्ट के बिल्कुल विपरीत था। इसका प्रभाव बाद में 1989 के चुनाव में कोंग्रेस की हार के रूप में सामना करना पड़ा।
राजीव गाँधी की सरकार के समय बोफोर्स घूस कांड, जिसे बोफोर्स स्कैंडल भी कहा जाता है, का पर्दाफाश हुआ था। जिसमे राजीव गाँधी पर रक्षा समझोते के तहत स्वीडिस हथियार निर्माता कम्पनी से अरबो रुपयों की हेरा फेरी करने के आरोप लगे थे।
इनपर इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देश में सिख विरोधी दंगे फ़ैलाने का आरोप भी लगा था। इंदिरा गाँधी की हत्या के 19 दिन बाद उन्होंने एक बयान दिया कि, ‘जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तब धरती हिलती ही है। ‘ इस बयान के कारण भी राजीव गाँधी विवादों में रहे थे।
सम्मान एव पुरस्कार
राजीव गाँधी को सन 1991 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था। राजीव गाँधी की समाधि स्थल को वीर भूमि कहा जाता है जो नई दिल्ली में स्थित है।
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Share By – Praveen Kumar Sirvi
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wow great post